बहुत धन संपन्न लोग भी संग्रहीत संपदा का उपयोग नहीं जानते। फलतः उससे विग्रह और अनाचारजन्य संकटों की घटाएं ही घुमड़ती रहती हैं । उन्हें संपन्नता - निर्धनता से भी महंगी पड़ती है। ![crafto_1714021299653.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmQnWv7oL7SV8yJqAcDreyAQHCu4ggqQCiwWpcuW9qp2ty/crafto_1714021299653.png) उच्छृंखल अपव्यय अथवा कृपण संग्रह तरह - तरह के विक्षोभ उत्पन्न करता है व्यक्ति की स्वाभाविक शांति का अपहरण कर लेता है!! ![crafto_1714021871648.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmcVe3wE615NLejqd4e5Nx88GooyCoSPKDciAa9XNTqWEY/crafto_1714021871648.png)
सुसूक्ष्मेणापि रंध्रेण प्रविश्याभ्यंतरं रिपु: नाशयेत् च शनै: पश्चात् प्लवं सलिलपूरवत् अर्थात : नाव में पानी पतले छेद से भीतर आने लगता है और भर कर उसे डूबा देता है, उसी तरह शत्रु को घुसने का छोटा रास्ता या कोई भेद मिल जाए तो उसी से भीतर आ कर वह कबाड़ कर ही देता है। ![crafto_1713888403336.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmQxQgZRHjNnGRaUxFPSsEvvrHzzCRB6YoyejbUbophcgZ/crafto_1713888403336.png)
नाभ्युत्थानक्रिया यत्र नालापा मधुराक्षराः । गुणदोषकथा नैव तत्र हर्म्ये न गम्यते ।। (पञ्च.मित्रभे./६८) जिस घर में खड़े होकर सत्कार करने वाला कोई न हो, जहाँ मीठी वाणी से बातें न होती हों और जहाँ गुणों और दोषों की चर्चा न हो, ऐसे घर में नहीं जाना चाहिए । One should not visit a house, in which no one comes forward to receive visitor; there is no sweet talk and no one discusses what is good or bad. अथार्त : रात खत्म होकर दिन आएगा, सूरज फिर उगेगा, कमल फिर खिलेगा- ऐसा कमल में बन्द भँवरा सोच ही रहा था, और हाथी ने कमल को उखाड़ फेंका। ![crafto_1713932736843.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmU7fV77ifsPcVejueSxoCnZ1nHXi7zLtDEhQ9fwwTTu32/crafto_1713932736843.png) (18)
आरम्भ गुर्वी क्षयणी क्रमेण लघ्वी पुरा दीर्घमुपैति पश्चात् | दिनस्य पूर्वार्धपरार्ध भिन्ना छायेव मैत्री खलसज्जनानाम् || -भर्तृहरि (नीति शतक ) ![crafto_1713760171439.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmY12emHHKTzP1BKdhej6rB3bUUyGoPSjmDNFfRKjGZ9Bu/crafto_1713760171439.png) भावार्थ - सूर्य के प्रकाश से उत्पन्न छाया दिन के पूर्वार्ध (सूर्योदय से मध्याहन तक) और परार्ध (मध्याह्न से सूर्यास्त ) में अलग प्रकार की होती है | पूर्वार्ध में पहले वह् बहुत लम्बी होती है और क्रमशः छोटी होती जाती है | मध्याह्न के पश्चात् शीघ्र ही वह् पुनः बडी होने लगती है | इसी प्रकार से दुष्ट और सज्जन व्यक्तियों से की गयी मित्रता भी प्रभावित होती है | (इस सुभाषित में दुष्ट व्यक्तियों से मित्रता की तुलना दिन के पूर्वार्ध में उत्पन्न हुई छाया से की गयी है , अर्थात प्रारम्भ में तो प्रगाढ पर अन्ततः समाप्त हो जाती है | इसके विपरीत सज्जन व्यक्तियों से मित्रता दिन के उत्तरार्ध में उत्पन्न छाया के समान प्रारम्भ में तो साधारण होती है परन्तु बाद में प्रगाढ मित्रता में परिवर्तित हो जाती है | )
*दिखावा और झूठ बोलकर व्यवहार बनाने से अच्छा है..सच बोलकर दुश्मन बना लो..तुम्हारे साथ कभी विश्वासघात नही होगा...* ![crafto_1713845991851.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmas1EceB3T1QFPAtnQkLhXYX57ydVjFmLmAFawtnxmYHR/crafto_1713845991851.png) *दुनिया का सबसे बेहतर टानिक है जिम्मेदारी..एक बार पी लो जिदंगी भर थकने ही नही देता...।*
*हथेली पर रखकर नसीब.. तू क्यों अपना मुकद्दर ढूँढता है..सीख उस समन्दर से..जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढता है...* ![crafto_1713760426209.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmaoZTuG95tKzyjEY8X341m3Wz6ATZaMvDSr5EM2f8qoEX/crafto_1713760426209.png) *छोटी-छोटी बातो को बड़ा करना व्यर्थ है..और व्यर्थ बातों का परिणाम व्यर्थ ही होता है...* *लोग आपसे नहीं आपकी स्थिति से हाथ मिलाते हैं..यही जीवन का कड़वा सत्य है...* ![crafto_1713845991851.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmas1EceB3T1QFPAtnQkLhXYX57ydVjFmLmAFawtnxmYHR/crafto_1713845991851.png)
चलन में झूठ का बोलबाला था क्योंकि उसकी खनक तेज थी इसलिए उसे मनवाना नहीं पड़ता था लोग यूं मान जाते थे मेरे हाथ में सच जो था उसे मनवाना नहीं जनवाना पड़ता उसमें कोई खनक नहीं थी और मुझमें हनक नहीं थी फिर क्या था चलन से बाहर होना ही था। ![crafto_1713615138576.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmPDsCyvKZLd9cHfBvip55Vegu86pQ5nuNn81VJzUoGusf/crafto_1713615138576.png)
क्रोध वह अग्निकुंड जो आपके हाँथो स्वयं आपकी आहूति करवा देता है,* ![crafto_1713664319097.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmTiaW8FweGtKJb6qtebce6vZ8Vqd6esAGe4tJAMqhFVW4/crafto_1713664319097.png) "बौद्धिक पतन" पेठा,बेसन के लड्डू, गाजर का हलवा, रसगुल्ला, गुलाब जामुन, जलेबी, कलाकंद, खोपरा पाक, खीर, नानखटाई और 100 तरह के पेडे. काजू कतरी, रसमलाई, सोहन हलवा, बूंदी, बरफी, 50 तरह के श्रीखंड, पूरण पोली, आम रस,दु धि हलवा, गोल पापड़ी, मोहन थाल, सक्कर पारा, तिलगुड़ के लड्डू. मुम्बई आइस हलवा, चीकू बर्फी, चूरमा लड्डू, घेबर, घुघरा, हलवा खजूर पाक, मगज पाक, रेवडी........ जैसी हज़ारों शुद्ध मीठी चीजें जिस देश के लोग बनाना और खाना जानते हों, उस देश में चॉकलेट देकर "कुछ मीठा हो जाये" कह के करोड़ों की चॉकलेट बेच के विदेशी कम्पनियों का हमारा करोड़ों रुपया लूट लेना. ये दर्शाता है कि........ हमारा कितना बौद्धिक पतन हो गया है.
*कहते है* *"सफलता" के सफ़र में "धूप" बड़ी काम आई* *"छांव " अगर होती तो* *"कदम" रुक गये होते.!!* ![crafto_1713530323579.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmYbyNY5NYXmyKKy6Bj8Z2kDtjKoC7X7PugED7fdcSZWRc/crafto_1713530323579.png) *तेजस्विनि क्षमोपेते नातिकार्कश्यमाचरेत्।* *अतिनिर्मथनाद्वह्निश्चन्दनादपि जायते॥* तेजस्वी और क्षमाशील व्यक्ति से कभी भी अतिकठोर आचरण नहीं करना चाहियें। अति घर्षण से चन्दन की लकडी में भी अग्नि उत्पन्न होती हैं *
अक्सर अधिक सुख के लालच में,* *हम नये दु:ख को जन्म दे देते है* *श्रेष्ठता यानी महत्वपूर्ण का आधार कोई* *ऊँचे पद या* *आसन पर बैठना नही होता* *श्रेष्ठता का आधार हमारी ऊँची* *सोच पर निर्भर करता है* ![crafto_1713452390194.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmZAWi6qnnSDKYSVtmB4dBB1bhRLKE5mXwHC8oZrwr1b6H/crafto_1713452390194.png)
🚩🙏जय श्री राम 🙏🚩 श्री राम राम रामेति रमे रामे मनोरमे सहस्र नाम तत्तुल्यं राम नाम वरानने।। ![crafto_1713406460296.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmWhaUHZiQsXaBgBUcKDVRvxWLXrhXY4vYabiHvfAeWTUA/crafto_1713406460296.png) जिस रंग की स्याही कलम में होगी कापी पे अक्षर उसी रंग के होंगे हृदय में जो भाव होंगे वहीं मुखमंडल पर रहेंगे और जिह्वा भी उन्हें वाणी में अभिव्यक्त करेगी जीवन का मंचन रंगमंच अभिनय से नहीं अनुभव से चलता है। *हमें अक्सर महसूस होता है* *कि दूसरों का जीवन अच्छा है लेकिन* *हम ये भूल जाते है कि* *उनके लिए हम भी तो दूसरे ही है* *
![](https://cdn.steemitimages.com/DQmaBmZh3aCC7ac4mW5fD1UmDzxgzkeUeCHAeXT4WaeKnhm/1712568194675.jpg) <center><sub>Posted using [SteemPro Mobile](https://play.google.com/store/apps/details?id=com.steempro.mobile)</sub></center>
इस जन्म में ,हमारे संबंध उसी आत्मा से जुड़ते हैं, जिनसे हमारा पिछले जन्मों में ..कोई रिश्ता होता है , या, उनसे हमारी आत्मा का , किसी कारण कोई पिछला.. लेना - देना, बाकी रह गया होता है। जब हिसाब किताब खत्म ..तो सम्बन्ध भी खत्म ! यह सब हिसाब किताब का खेल है। कर्म गति टारै नहीं टरै जिससे लिया है तो, देना भी जरूर पड़ेगा, उससे कोई बच नहीं सकता , इसलिए ..जिसका देना है, उसे अभी दे दो.. अगर किसी से लेना है तो उससे ले लो. या फिर माफ कर दो,कलम काट दो कि ,अब नहीं लेना तभी हम बार बार के जन्म मरण से बच सकते हैं । ![crafto_1713414952292.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmfFjGLSAmsutoacsETmidUd8646FTDvh9X89Mmn4obGzj/crafto_1713414952292.png) ।
ॐ हं हनुमत्ये नमो नमः श्री हनुमत्ये नमो नमः जय जय हनुमत्ये नमो नमः श्री राम दुताय नमो नमः || ![crafto_1713261086120.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmYfY8XfgZm782S6T4uHo1AiXgXNhasnrLdf9hh9eXX9HU/crafto_1713261086120.png) इस संसार में,कोई भी सम्बंध या रिश्ता.. अपनी मर्जी से नहीं जुड़ता । आपको कब , कहां और किससे जुड़ना है ? यह सिर्फ ,ऊपर वाला तय करता है .. कौन हमारा मां -बाप ,बेटा, बेटी ,भाई बनेगा .. पत्नी या दामाद बनेगा ? यह सब हमारे ,पिछले जन्मों के कर्मों के आधार पर ही तय होता है ।
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![crafto_1713241373011.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmVPYECU8gGS6jcMvWhvVbnmg1wKr86THkMfghRJYCM1Tk/crafto_1713241373011.png) *”सकारात्मक सोच कहती है कि जीवन में जो नहीं मिला वह अच्छा नहीं, जो मिला वह बेहतर है, और जो मिलेगा वह सर्वोत्तम होगा। इसके बावजूद, यदि हम अधिक या बेहतर चाहते हैं, तो हमें पहले अपनी योग्यता में सुधार करना होगा।”*
![IMG_20240416_084903.jpg](https://cdn.steemitimages.com/DQmWjfCLA4XFiv3UmpNy2XtsgP1B37UwZbYafaVHi6tFWnL/IMG_20240416_084903.jpg) What a beautiful dream last night, like a butterfly, a man dreams of sucking honey in a tiny flower, as soon as I wake up I see another butterfly sucking honey in a beautiful flower like I dreamed last night, what is that sign?
![crafto_1713182775407.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmYgVU5gm7N8vcqtgbwndvvenGvH6PTjZ3kVBS9eu7D5TN/crafto_1713182775407.png) ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात। ऐसे और पोस्ट देखने के लिए और राष्ट्रीय हिन्दू संगठन से जुड़ने के लिए क्लिक करें 👇👇 https://kutumbapp.page.link/hUqSzYCgitF474fi9?ref=W5MIS चौपाई गरुड़ सुमेरु रेनु सम ताही। राम कृपा करि चितवा जाही॥ अति लघु रूप धरेउ हनुमाना। पैठा नगर सुमिरि भगवाना॥2॥ भावार्थ और हे गरुड़जी! सुमेरु पर्वत उसके लिए रज के समान हो जाता है, जिसे श्री रामचंद्रजी ने एक बार कृपा करके देख लिया। तब हनुमान जी ने बहुत ही छोटा रूप धारण किया और भगवान का स्मरण करके नगर में प्रवेश किया॥2॥ ऐसे और पोस्ट देखने के लिए और राष्ट्रीय हिन्दू संगठन से जुड़ने के लिए क्लिक करें 👇👇 https://kutumbapp.page.link/mENnCBJ23nqurGVGA?ref=W5MIS
![crafto_1712813465115.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmZQ2KGGx8MPvfKicMyu8KGSvf2wdNLAf2adeE3fxkwcjp/crafto_1712813465115.png) ![Screenshot_2024-04-09-15-17-52-08_6012fa4d4ddec268fc5c7112cbb265e7.jpg](https://cdn.steemitimages.com/DQmWeetNNvti65ehTY7WotfxXFVcBNQ7W2oepTbqNXUG8Vw/Screenshot_2024-04-09-15-17-52-08_6012fa4d4ddec268fc5c7112cbb265e7.jpg) ![crafto_1712209001461.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmWW92hhcu7TAFDcCJnWcuBPybaUX6th6PqKMBeyFZ7Lpk/crafto_1712209001461.png) दो दो दुल्हनिया के बीचफँस गए गणराजा रिद्धि कहे मोहे बिंदिया ला दे सिद्धि कहे मोहे टिका ला दे चूहे पे होकर सवार निकल लिए गणराजादो दो दुल्हनिया,,,,,,,, रिद्धि कहे मोहे झुमके ला दे सिद्धि कहे मोहे नथनी ला दे अरे चूहे पे होके सवार निकल गए गणराजा दो दो दुल्हनिया,,रिद्धि कहे मोहे हरवा ला दे सिद्धि कहे मोहे माला ला दे अरे चूहे पे होके सवार निकल गए गणराजा दो दो दुल्हनिया,,,रिद्धि कहे मोहे चुङी ला दे सिद्धि कहे मोहे चुङा ला दे अरे चूहे पे होके सवार निकल गए गणराजादो दो दुल्हनिया,,,, रिद्धि कहे मोहे लहंगा ला दे सिद्धि कहे मोहे साड़ी ला दे अरे चूहे पे होके सवार निकल गए गणराजा दो दो दुल्हनिया,,,, रिद्धि कहे मोहे पायल ला दे सिद्धि कहे मोहे बिछवे ला दे अरे चूहे पे होके सवार निकल गए गणराजा दो दो दुल्हनिया,,,,
![crafto_1712110311515.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmXjHp4S4wbTGXSHyCC1PTVomC6Jxv4H3kwwPr1w2fkpwN/crafto_1712110311515.png) *जीवित रखना है तो परस्पर संबंधों को जीवित रखें जिससे आपके अधिक खुशहाल जीवन के स्वामी बनेंगे संबंध से बड़ा दर्जा संपत्ति का कदापि नहीं हो सकता सुंदरता का प्रमाण चरित्र को समझें देहाकर्कषण को नहीं स्नेह का परम स्वरूप त्याग में दिखाई ही देगा छीन कर लेने में नहीं वस यही तो सर्वोत्तम जीवन का सूत्र है। ![crafto_1713065618865.png](https://cdn.steemitimages.com/DQmbLbqoTe8LEyhv22jUDQTnbMNa6RFwJbuScgEoUCPszGX/crafto_1713065618865.png)